
१.
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता |
या वीणा वर दंड मंडितकरा, या श्वेत पद्मासना ||
या ब्रह्माच्युत शंकरा प्रभृतिभि: देवै: सदा वन्दिता |
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्यापहा ||
२.
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमाद्याम जगद्व्यापिनीम
वींणा पुस्तक धारिणीभमयदाम जाद्यापअंधकारापहाम |
हस्ते स्फटिक मालिकाम विधातीम पद्मासने संस्थिताम
वन्दे ताम परमेश्वरीम भगवतीम बुद्धि प्रदाम शारदाम ||
३.
सरस्वती महाभागे
विद्ये कमललोचने
विश्वरूपे विशालाक्षी
विद्याम देहि नमोस्तुते ||
४.
सरस्वती नमस्तुभ्यं
वरदे कामरूपिणी
विद्यारम्भं करिष्यामि
सिद्धिर्भवतु मे सदा ||
५.
ॐ वाक् देव्यै च विद्महे
विरिन्जी पत्नयै च धीमहि
तन्नो वाणी प्रचोदयात ||